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The Art and Culture of Uttar Pradesh are an Indian Culture that has its roots in Hindi and Urdu literature, music, fine arts, drama, and cinema.

शास्त्री गायन/वादन
(Classical Singing/Playing of Uttar Pradesh)

  • प्राचीन काल में रचित ‘भरतमुनि का नाट्यशास्त्र’ उत्तरी भारत के संगीतज्ञों की बाइबिल’ (‘Bible of the musicians) है।
  • महाप्रभु वल्लभाचार्य ने मथुरा-वृंदावन में पुष्टि संप्रदाय की स्थापना की |
  • विट्ठलनाथ ने कृष्णलीला गान संप्रदाय के रूप में अष्टछाप कवियों की स्थापना की।
  • अष्टछाप में शामिल कवि थे- सूरदास, नंददास, परमानंददास, कुंभनदास, चतुर्भुजदास, छीत स्वामी, गोविन्द स्वामी एवं कृष्णदास।
  • सखी संप्रदाय के प्रवर्तक स्वामी हरिदास ने ‘श्रीकेलिमाल’ तथा ‘अष्टादश’ पदों की रचना की।
  • स्वामी हरिदास ने तानसेन को दीपक रागबैजू बावरा को मेघ राग, तथा गोपाल नायक को मालकौंस राग में सिद्धि शक्ति दी थी।
  • अमीर खुसरो ने ईरानी संगीत रागों में प्रचलित भारतीय रागो का मिश्रण किया था।
  • मोदू खां तथा बख्शूर खां ने तबले के लखनऊ घराने का प्रवर्तन किया।
  • मोदू खां के शिष्य पं. रामसहाय ने बनारस वाज घराने का प्रवर्तन किया।
  • आगरा घराने को कव्वाल बच्चा घराना भी कहा जाता है।
  • आगरा घराने के अद्वितीय गायक उस्ताद फैयाज खां थे।
  • आगरा घराने की उत्पत्ति अकबर के दरबारी गायक सुजान खां से मानी जाती है।
  • सहारनपुर घराने के बहराम खां को पंडित की उपाधि दी गई थी।

शास्त्रीय नृत्य
(Classical Dance of Uttar Pradesh)

  • वाराणसी की सितारा देवी तथा अलखनंदा देवी ने कत्थक नृत्य के क्षेत्र में ख्याति प्राप्त की।
  • वायलिन वादन में श्रीमति एन- राजम, शहनाई वादन में उस्ताद बिस्मिल्ला खां, सितार वादन में पंरविशंकर, राजभान सिंह, उस्ताद मुश्ताक अली खां तथा नृत्य में उदयशंकर एवं गीपीकृष्ण ने उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ाया।
  • नृत्य की कत्थक शैली उत्तरप्रदेश की देन है।
  • बिंदादीन, शम्भू महाराजलच्छू महाराज और बिरजू महाराज ने कथक शैली को नई दिशा दी।

लोकनृत्य
(Folk Dance of Uttar Pradesh)

  • चरकुला एक घड़ा नृत्य है जो ब्रजभूमि का लोक नृत्य है।
  • चरकुला नृत्य सिर पर रथ के पहिये पर कई घड़ों को रखकर किया जाता है।
  • पाई डंडा नृत्य बुंदेलखण्ड के अहीरों द्वारा किया जाता है।
  • राई नृत्य बुंदेलखण्ड की महिलाओं का मयूर नृत्य है। इसे वे श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर करती है।
  • शैरा नृत्य बुंदेलखण्ड क्षेत्र के हमीरपुर, झांसी तथा ललितपुर जिलों में लोकप्रिय है। यह नृत्य वर्षा ऋतु में कृषक समुदाय के युवा लड़के एवं लड़कियों द्वारा हाथ डंडा लेकर किया जाता है। इस नृत्य में फसल को सफलतापूर्वक काटने के लिए वैदिक देवता इंद्र की पूजा एंव आशीर्वाद ली जाती है।
  • दीपावली नृत्य बुंदेलखंडी अहीरों द्वारा दीपावली के अवसर पर प्रज्ज्वलित दीपों को सिर पर रखकर किया जाता है।
  • दो समूहों के मध्य प्रतियोगिता स्वरूप गायन को ख्याल कहते हैं।
  • कार्तिक गीत नृत्य प्रदेश के बुंदेलखण्ड क्षेत्र में प्रचलित है।
  • ‘कार्तिक गीत नृत्य’ श्रीकृष्ण तथा गोपियों के संबंधों का वर्णन है।
  • धोबिया राग’ नृत्य प्रदेश की धोबी जाति द्वारा किया जाता है।
  • क्हार जाति द्वारा मांगलिक अवसर पर किए जाने वाले नृत्य को ‘नटवरी नृत्य कहते हैं।
  • चौरसिया नृत्य उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिले में कहारों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
  • करमा’ नृत्य उत्तरप्रदेश के मिर्जापुर और सोनभद्र जिलों में कोल जनजातियों के स्त्री एवं पुरूषों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाने वाला नृत्य है।

लोकनाट्य
(Folk Drama of Uttar Pradesh)

  • उत्तर प्रदेश में सबसे प्रचलित लोक नृत्य नौटंकी है।
  • उ.प्र. में नौटंकी रामलीला का आयोजन सितंबर/अक्टूबर मास में नवरात्रि के समय किया जाता है।
  • रामलीला में भगवान राम के जीवन की घटनाओं का मंचन किया जाता है।

लोकगीत
(Folk Song of Uttar Pradesh)

  • बिरहा, चैती, ढ़ोला, कजरी, रसिया, आल्हा, पूरन भगत और भर्तृहरि उत्तरप्रदेश के प्रमुख लोक गीत हैं।
  • रागिनी, ढोला, स्वांग पश्चिमी उत्तरप्रदेश के प्रमुख लोक गीत हैं।
  • लावणी, बहतारबील उत्तरप्रदेश के रुहेलखण्ड क्षेत्र के प्रमुख लोक गीत हैं।

प्रमुख मेले और महोत्सव
(Fairs & Festivals of Uttar Pradesh)

  • उत्तरप्रदेश में प्रतिवर्ष लगभग 2,250 मेले आयोजित किए जाते हैं।
  • सर्वाधिक मेले मथुरा, कानपुर एवं हमीरपुर, झांसी, आगरा तथा फतेहपुर  में होते हैं।
  • उत्तरप्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा प्रतिवर्ष लखनऊ, आगरा तथा वाराणसी नगरों में महोत्सव का आयोजन किया जाता हैं।
  • आगरा में ताज महोत्सव का आयोजन किया जाता हैं।
  • हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक सुलहकुल उत्सव का आयोजन आगरा में किया जाता है।
  • उत्तरप्रदेश में होली पर्व के अवसर पर ‘लट्ठमार होली का आयोजन बरसाना में किया जाता है।
  • उत्तरप्रदेश में विश्व का सबसे बड़ा मेला (कुम्भ मेला) इलाहाबाद में लगता है।
  • कुम्भ’ प्रति 12 वर्ष पश्चात तथा अर्द्ध कुम्भ 6 वर्ष के अंतराल पर आयोजित किया जाता है।
  • ददरी के पशु मेले का आयोजन कार्तिक पूर्णिमा को बलिया में किया जाता है।
  • इलाहाबाद में प्रतिवर्ष माघ मेले का आयोजन किया जाता है
  • हरिदास जयंती समारोह एवं ध्रुपद मेला भाद्रपद शुक्ल पक्ष में मथुरा में प्रतिवर्ष होता है जिसमें श्रेष्ठ संगीतज्ञ भाग लेते हैं।

लोक बोलियां
(Folk language of Uttar Pradesh)

  • प्रदेश में सबसे अधिक बोली जाने बाली भाषा/बोली/उपबोली भोजपुरी है|
  • पूर्वी दिल्ली, मेरठ, बागपत, मुज्जफर नगर, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर आदि क्षेत्रों में खड़ी भाषा बोली जाती है
  • फैजाबाद, गोंडा,श्रावस्ती, लखनऊ, अमेठी, इलाहाबाद आदि अवध बोली का क्षेत्र है|
  • मथुरा, अलीगढ़, आगरा, फिरोजबाद, बरेली आदि ब्रज बोली का क्षेत्र है|
  • कन्नौज, इटावा, औरया, कानपुर आदि क्षेत्रों में कन्नौजी भाषा बोली जाती है|
  • कन्नौजी भाषा और ब्रज भाषा में काफी समानता पाई जाती है|
  • झाँसी, ललितपुर, हमीरपुर, चित्रकूट आदि क्षेत्रों में बुन्देली भाषा बोली जाती है|
  • प्रदेश में सबसे कम बोली जाने बाली भाषा/बोली/उपबोली बघेली है|

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