geography

El-Nino and La-Nina are complex weather patterns resulting from variations in ocean temperatures in the Equatorial Pacific Region. They are opposite phases of what is known as the El Nino-Southern Oscillation (ENSO) cycle. The ENSO cycle describes the fluctuations in temperature between the ocean and atmosphere in the east-central Equatorial Pacific.
El Nino and La Nina episodes typically last nine to 12 months, but some prolonged events may last for years.

अल नीनो (El-Nino)

  • अल नीनो एक स्पैनिश शब्द है जिसका अर्थ है ‘द लिटिल बॉय’।
  • पेरू और इक्वाडोर के तट के किनारे सामयिक जलवायु परिवर्तन और गर्म महासागरीय सतही जल का उत्‍पन्‍न होना अल नीनो प्रभाव कहलाता है।
  • इसे पहली बार 1600 के दशक के दौरान दक्षिण अमेरिका के तट पर मछुआरों द्वारा पहचाना गया था।
  • अल नीनो में पूर्व से पश्चिम तक भूमध्य रेखा के निकट चलने वाली व्यापारिक पवनें धीमी हो जाती हैं और पश्चिमी प्रशांत महासागर में उच्च वायु दाब और पूर्वी प्रशांत महासागर में निम्न वायु दाब उत्‍पन्‍न हो जाता है।
  • इसके कारण, सतही जल उत्तरी दक्षिण अमेरिका के तट की ओर बढ़ता है।
  • मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर छह महीने के दौरान गर्म होते हैं और परिणामस्‍वरूप अल नीनो प्रभाव उत्‍पन्‍न होता है।
  • अल नीनो के दौरान, मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर के गर्म होने से ठंडे पानी का उमड़ना कम हो जाता है जो अंततः उस क्षेत्र में पोषक तत्वों की मात्रा को कम कर देता है।
  • पूर्वी प्रशांत महासागर का गर्म जल इसके विपरीत विभिन्न क्षेत्रों में हवाएं उत्‍पन्‍न करता है।
  • अल नीनो प्रभाव आम तौर पर क्रिसमस के दौरान होता है और कुछ सप्‍ताह से कुछ महीनों तक रहता है।
  • कभी-कभी यह पानी के गर्म होने के कारण अधिक समय तक हो सकता है।
  • सात से नौ महीने तक इस प्रकार के गर्म वातावरण को अल नीनो ‘कंडीशन’ कहा जाता है, और जब यह अवधि लंबी होती है, तो इसे अल नीनो “एपिसोड” कहा जाता है।
  • आम तौर पर, अल नीनो प्रभाव ला नीना प्रभावों की तुलना में कई बार होता है।

अल नीनो के कारण

  • व्यापारि‍क पवनों के पैटर्न में अनियमितता की स्‍थिति में अल नीनो की घटना होती है।
  • अल नीनो की घटना मुख्य रूप से तब होती है जब भूमध्य रेखा के पास पश्चिम की ओर चलने वाली हवाएं धीमी होती हैं और वायुदाब अस्‍थिर रहता है।
  • वायु दाब में परिवर्तन के कारण प्रशांत महासागर का गर्म सतही जल पूर्व में पेरू और इक्वाडोर के तट की ओर बढ़ने लगता है।
  • मध्य और पूर्वी प्रशांत क्षेत्रों में यह गर्म जल पूरे क्षेत्र को गर्म करता है, जिसके फलस्वरूप अल नीनो की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है।
  • गर्म सतही जल के कारण आर्द्रता बढ़ जाती है जिसके फलस्‍वरूप दक्षिण अमेरिका में सामान्य से अधिक वर्षा होती है, और इंडोनेशिया एवं ऑस्ट्रेलिया में सूखे जैसी स्थिति उत्‍पन्‍न होती है।

अल नीनो का प्रभाव

  • अल नीनो मौसम की स्थिति को वैश्विक स्‍तर पर प्रभावित करता है।
  • यह पूर्वी प्रशांत हरिकेन और उष्णकटिबंधीय चक्रवात को बढ़ाता है।
  • पूर्वी प्रशांत महासागर और आसपास के देशों जैसे पेरू, इक्वाडोर और चिली में असामान्य और भारी वर्षा होती है।
  • यह ठंडे जल के उमड़ने की स्‍थितियां कम करता है जिसके कारण समुद्र तल में जमा पोषक तत्वों का ऊपर उठना कम हो जाता है।
  • पोषक तत्वों के पर्याप्‍त मात्रा में ऊपर न आने के कारण, समुद्री और समुद्री पक्षी उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • अल नीनो के कारण व्‍यापक रूप से सूखा पड़ सकता है, जो दक्षिणी अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया, भारत और प्रशांत द्वीप समूह जैसे देशों को प्रभावित कर सकता है।
  • कृषि आधारित देश सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
  • अल नीनो की स्थिति से मध्य और दक्षिण अमेरिका में रोगाणु जनित रोगों की संभावना बढ़ जाती है।
  • यह प्रवाल विरंजन के लिए उत्‍तरदायी है।

ला नीना (La-Nina)

  • ला नीना एक स्पैनिश शब्द है जिसका अर्थ है ‘लिटिल गर्ल’ या ‘एक शीतकालीन घटना’।
  • ला नीना में, पूर्वी प्रशांत महासागर का ठंडा जल सामान्य से अधिक ठंडा हो जाता है, जिसके फलस्वरूप मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में ठंडा पानी जमा हो जाता है।
  • ला नीना में, व्यापारि‍क पवनों में परिवर्तन नहीं होता है। हालांकि, यह पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में उच्‍चदाब उत्‍पन्‍न करता है।
  • अल नीना के प्रभाव के बाद, मौसम की स्थिति पहले की तरह सामान्य हो जाती है, आमतौर पर यह तेज गति से होता है।
  • सबसे प्रभावशाली ला नीना प्रभाव वर्ष 1988 में हुआ जिसमें अटलांटिक महासागर में सक्रिय हरिकेन का मौसम देखा गया।
  • ‘मिच’ पिछले 100 वर्षों के इतिहास में उत्‍पन्‍न हुआ सबसे शक्‍तिशाली अक्टूबर हरिकेन था।

ला-नीना के कारण

  • यह मुख्य रूप से तब होता है जब पूर्वी व्यापारिक पवनें बहुत प्रभावशाली हो जाती हैं।
  • इसके कारण, पश्चिमी प्रशांत महासागर की ओर गर्म जल अधिक मात्रा में एकत्र हो जाता है और मध्य एवं पूर्वी प्रशांत महासागर की ओर ठंडा जल एकत्र हो जाता है।
  • तेज व्यापारिक पवनें गर्म जल को पश्चिमी प्रशांत महासागर की ओर ले जाती हैं जिसके कारण पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर के जल का तापमान सामान्य से कम हो जाता है।
  • कई बार ला नीना अल नीनो के बाद होती है; हालांकि, ये लगभग 2-7 वर्षों के अनियमित अंतराल पर होते हैं।

ला-नीना के प्रभाव
( El Nino and La Nina Impact)

  • यह पूरे भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में भारी मानसून लाता है।
  • यह पेरू और इक्वाडोर में सूखे जैसी स्थिति उत्‍पन्‍न करता है।
  • यह दक्षिणपूर्वी अफ्रीका में आर्द्र और ठंडी सर्दियां और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में आर्द्र मौसम जैसी स्थिति उत्‍पन्‍न करता है।
  • दक्षिणी संयुक्त राज्य अमेरिका में, यह सर्द हवा उत्‍पन्‍न करता है।
  • यह उत्तर पश्चिमी संयुक्त राज्य अमेरिका और पश्चिमी कनाडा में अत्‍यधिक सर्दी उत्‍पन्‍न करता है।
  • यह ऑस्ट्रेलिया में भारी बाढ़ का कारण बनता है।
  • यह पश्चिमी प्रशांत, हिंद महासागर और सोमालिया के तट से दूर के क्षेत्रों में उच्च तापमान उत्‍पन्‍न करता है।
  • यह पूरे भारत में भारी मानसून वर्षा का कारण बनता है।
El Nino and La Nina
El Nino and La Nina

भारत पर ला नीना और अल नीनो का प्रभाव
(El Nino and La Nina Impact On India)

  • भारत एक कृषि प्रधान देश है, और इसका लगभग 50% क्षेत्र कृषि के अंतर्गत आता है। इसके अलावा, भारतीय कृषि प्रणाली काफी हद तक मानसून की क्षमता और वर्षा की मात्रा पर निर्भर है। इसलिए ला नीना की स्थिति भारतीय कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए बड़े पैमाने पर लाभकारी है।
  • इस प्रकार, ला नीना प्रभाव भारत में पर्याप्त वर्षा उत्‍पन्‍न करेगा जो सीधे तौर पर कृषि उपज को बढ़ाएगा।
  • वहीं दूसरी ओर, भारी वर्षा कभी-कभी कुछ क्षेत्रों में बाढ़ पैदा करती है, जो लोगों के जीवन और अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।
  • कृषि उपज देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ाएगी।
  • हालांकि, शीतकालीन मौसम के दौरान अल नीनो भारतीय उपमहाद्वीप में गर्मी और ग्रीष्‍मकाल के दौरान शुष्क और कम मानसून लाता है।
  • इसलिए, यह सूखे जैसी स्‍थिति उत्‍पन्‍न करता है और कृषि को प्रभावित करता है।
  • अल नीनो के प्रभाव के कारण धान, मूंगफली, मक्का, ग्वार, अरंडी, मूंग, तूर और बाजरा जैसे फसलों को बहुत नुकसान होता है।

ला नीना और अल नीनो के प्रमुख अंतर
(Difference Between El Nino and La Nina)

  • अल नीनो के दौरान, पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली व्यापारिक पवनें धीमी हो जाती हैं। यद्यपि, ला नीना के दौरान, पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली व्यापारिक पवनें तेज हो जाती हैं।
  • अल नीनो के दौरान, गर्म पानी पूर्वी प्रशांत महासागर में एकत्र होता है। यद्यपि, ला नीना के दौरान, गर्म जल पश्चिमी प्रशांत महासागर में एकत्र होता है।
  • अल नीनो पश्चिमी प्रशांत पर उच्च सतही वायुदाब लाता है। हालांकि, ला नीना पूर्वी प्रशांत महासागर के ऊपर निम्‍न सतही वायुदाब लाता है।
  • अल नीनो में वायु की गति धीमी होती है। हालांकि, ला नीना में, वायु की गति बहुत अधिक होती है।
  • अल नीनो में, कोरिओलिस बल कम हो जाता है। यद्यपि, ला नीना में, कोरिओलिस बल बढ़ जाता है।
  • अल नीनो पूर्वी प्रशांत महासागर और आसपास के देशों जैसे पेरू, इक्वाडोर और चिली में भारी वर्षा उत्‍पन्‍न करता है। हालांकि, ला नीना पूर्वी प्रशांत महासागर और पेरू, इक्वाडोर और चिली जैसे पास के देशों में सूखे जैसे हालात उत्‍पन्‍न करता है।

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what is el-nino and la-nina ?

El Nino refers to the above-average sea-surface temperatures that periodically develop across the east-central equatorial Pacific. It represents the warm phase of the ENSO cycle. La Nina refers to the periodic cooling of sea-surface temperatures across the east-central equatorial Pacific.

How does El Niño affect La Niña?

What impacts do El Nio and La Nia have? El Nio and La Nia have an impact on not only ocean temperatures but also the amount of rain that falls on land. El Nio and its warm waters are typically connected with drought, but La Nia is associated with increased flooding.