सिंधु घाटी सभ्यता – Indus Valley Civilization (हड़प्पा सभ्यता)

ScoreBetter.inScoreBetter.in

The Indus Valley Civilization was established around 3300 BC. It flourished between 2350 BC and 1700 BC (the mature Indus Valley Civilization). It started declining around 1900 BC and disappeared around 1400 BC. This is also called the Harappan Civilization after the first city to be excavated, Harappa (Punjab, Pakistan).

सिंधु घाटी सभ्यता दुनिया के चार प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है। रेडियोकार्बन C-14 जैसी विश्लेषण-पद्धति के अनुसार सिन्धु घाटी सभ्यता की तिथि 2350 ई.पू. से 1700 ई.पू. मानी गई है। रेडियोकार्बन डेटिंग तकनीक का आविष्कार 1947 ई. में शिकागो विश्वविद्यालय के विलार्ड फ्रैंक लिब्बी और उनके साथियों ने किया था। सिन्धु सभ्यता (सैन्धव सभ्यता) की खोज रायबहादुर दयाराम साहनी ने 1921 ई. में की थी।
इस सभ्यता के लिये साधारणत- तीन नामों – सिन्धु सभ्यता या सिन्धु घाटी सभ्यता, हङप्पा सभ्यता और सिन्धु-सरस्वती सभ्यता का प्रयोग किया जाता है।

सिन्धु घाटी सभ्यता का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक था। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खुदाई से इस सभ्यता के प्रमाण मिले हैं। अतः विद्वानों ने इसे सिन्धु घाटी की सभ्यता का नाम दिया, क्योंकि यह क्षेत्र सिन्धु और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र में आते हैं, पर बाद में रोपड़, लोथल, कालीबंगा, वनमाली, रंगापुर आदि क्षेत्रों में भी इस सभ्यता के अवशेष मिले जो सिन्धु और उसकी सहायक नदियों के क्षेत्र से बाहर थे। इसका विकास सिंधु और घघ्घर/हकड़ा (प्राचीन सरस्वती) के किनारे हुआ। मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल, धोलावीरा, राखीगढ़ी और हड़प्पा इसके प्रमुख केन्द्र थे।

Indus Valley Civilization upsc (IVC)

सिन्धु सभ्यता त्रिभुजाकार क्षेत्र में फैली हुई थी तथा इसका क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किमी. था। 1826 ई. में सर्वप्रथम चार्ल्स मर्सन को हङप्पा से बङी संख्या में ईंटें प्राप्त हुई थी। 1856 ई. में कराची और लाहौर के बीच रेल-मार्ग बनाने के लिये ईंटों की आवश्यकता हुई, परिणामस्वरूप हङप्पा के खंडहरों की खुदाई की गयी। खुदाई करते समय ही यहाँ एक अति प्राचीन विकसित सभ्यता होने का आभास हुआ।
विद्वानों ने हङप्पा को सिन्धु सभ्यता की प्रथम राजधानी माना, साथ ही मोहनजोदङो को दूसरी राजधानी माना।

  1. मोहनजोदङो का आकार लगभग एक वर्ग मील है, जो कि पश्चिमी और पूर्वी दो खंडों में विभाजित है। पश्चिमी खंड पूर्वी खंड की तुलना में छोटा है।

  2. कालीबंगा के उत्खनन में निचली सतह से पूर्व सिन्धु सभ्यता और ऊपरी सतह से सिन्धु सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुये हैं। फर्श में अलंकृत ईंटों का प्रयोग केवल कालीबंगा में ही किया गया है। कालीबंगा के उत्खनन से काले रंग की चूङियाँ प्राप्त हुयी हैं। कालीबंगा से मिट्टी के बर्तन से सूती वस्त्र की छाप मिली है।

  3. हङप्पा से प्राप्त भंडारागार का प्रमुख प्रवेश द्वार नदी की ओर से था। हङप्पा के बर्तनों पर लेख प्राप्त हुये हैं। यहाँ से प्राप्त कुछ बर्तनों पर मानव आकृतियाँ भी बनी हुयी मिली हैं। हङप्पा से एक दर्पण प्राप्त हुआ है, जो ताँबे का बना है। ऐसा अनुमान है, कि स्वास्तिक चिह्न हङप्पा की ही देन है। हङप्पा से प्राप्त मुद्रा में गरुङ का अंकन मिला है। हङप्पा से काँसे की बनी एक नर्तकी की मूर्ति प्राप्त हुयी है। हङप्पा से ताँबे की बनी हुई एक इक्का गाङी प्राप्त हुयी है।

  4. मोहनजोदङो से प्राप्त किसी भी बर्तन पर लेख नहीं मिला है। सिन्धुवासियों को लोहे की जानकारी नहीं थी। सिंधु लिपि दाईं ओर से बाईं ओर और बाईं ओर से दाहिनी ओर लिखी जाती थी। सिंधुवासियों की लिपि चित्र प्रधान लिपि थी। इस लिपि में लगभग 400 वर्ण हैं। सिंधु सभ्यता की सभी सङकें मिट्टी की बनी थी। सिंधुवासी अधिकांशतः पकी मिट्टी के बर्तन बनाते थे। सिंधुवासी राजस्थान स्थित खेतङी की खदानों से ताँबा प्राप्त करते थे। ऐसा माना जाता है, कि सिन्धुवासी नींबू से भी परिचित थे।
    कर्नल स्यूयल का विचार है, कि सिंधुवासी हिरणों के सींग का चूर्ण बनाकर तथा समुद्रफेन को औषधि के रूप में प्रयोग करते थे। सिंधुवासी पशुपति महादेव की पूजा करते थे। मोहनजोदङो के उत्खनन में सात पर्त मिली हैं, जिनसे पता चलता है, कि यह नगर सात बार बसाया गया होगा। मोहनजोदङो से पाँच बेलनाकार मुद्राएँ प्राप्त हुयी हैं। मोहनजोदहों से कुछ अश्वों की हड्डियाँ प्राप्त हुयी हैं।

  5. लोथल से एक शव प्राप्त हुआ है, जो कब्र में करवट लिये हुये लिटाया गया है। शव का सिर पूरब तथा पैर पश्चिम दिशा में हैं। लोथल में एक ऐसी कब्र मिली है, जिसमें दो शव एक-दूसरे से लिपटे हुये हैं।
    लोथल और कालीबंगा से अग्न-कुंड प्राप्त हुये हैं। लोथल से गोदी के अवशेष प्राप्त हुये हैं। रंगपुर से कोई सील अथवा मातृदेवी की प्रतिमा प्राप्त नहीं हुई है।

  6. चन्हूदङो से प्राप्त एक पात्र में जला हुआ कपाल मिला है। चन्हूदङो से एक मनके बनाने का कारखाना प्राप्त हुआ है। सिन्धु प्रदेश में मंदिर होने के कोई अवशेष प्राप्त नहीं हुआ है। सिंधुवासियों ने सर्वप्रथम कपास की खेती की थी।
    सिंधुकालीन मुद्राओं के निर्माण में विभिन्न प्रकार के पदार्थों के प्रयोग के साथ ही सेलखङी का प्रयोग बहुतायत में किया जाता था। सिंधुकालीन मुद्राएँ वर्गाकार, चतुर्भुजाकार तथा बेलनाकार होती थी। सिंधुकालीन मुहरों पर पक्षियों के चित्र अंकित नहीं मिले हैं।

सिंधुकालीन नारी की मूर्तियों में कुरूपता दर्शित होती है। उत्खनन में प्राप्त सूइयों से पता चलता है, कि सिंधुवासी सिले हुये कपङे पहनते थे। सिंधुकालीन मिट्टी से निर्मित सङकों की चौङाई 30 से 35 फुट तक हुआ करती थी। सिंधुकालीन गलियाँ प्रायः 3 फुट चौङी हुआ करती थी।

सिंधु घाटी सभ्यता का क्षेत्र संसार की सभी प्राचीन सभ्यताओं के क्षेत्र से अनेक गुना बड़ा और विशाल था। इस परिपक्व सभ्यता के केन्द्र-स्थल पंजाब तथा सिन्ध में था। तत्पश्चात इसका विस्तार दक्षिण और पूर्व की दिशा में हुआ। इस प्रकार हड़प्पा संस्कृति के अन्तर्गत पंजाब, सिन्ध और बलूचिस्तान के भाग ही नहीं, बल्कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सीमान्त भाग भी थे।

सिंधु घाटी सभ्यता के पुरातात्विक स्थलों की सूची
(List of Archaeological Sites of Indus Valley Civilization)

  1. हङप्पा – हङप्पा नामक स्थल रावी नदी के तट पर वर्तमान पाकिस्तान के मोंटमोगरी जिले में स्थित है। इस स्थल के उत्खनन का कार्य 1921 ई. में दयाराम साहनी एवं माधोस्वरूप वत्स ने किया था। पत्थर की नटराज की मूर्ति और कब्रिस्तान-37 यहां खुदाई के दौरान मिली।
  2. मोहनजोदङों – यह स्थल सिन्धु नदी के तट पर वर्तमान पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले में स्थित है। इस स्थल के उत्खनन का कार्य 1922 ई. में राखलदास बनर्जी ने करवाया था। ग्रेट बाथ, मंडल भवन निर्माण और विधानसभा हॉल इस स्थल की विशेषताए हैं। पशुपति महादेव (आद्य शिव) की मुहर और बुना कपास के टुकडे खुदाई के दौरान मिली है।
  3. चन्हूदङो – यह स्थल सिन्धु नदी के तट पर पर वर्तमान में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में स्थित है। इसके उत्खनन का कार्य 1931ई. में गोपाल मजुमदार ने करवाया था तथा 1943 ई. में ‘मैके’ द्वारा यहाँ उत्खनन करवाया गया। यह सिन्धु घटी की ऐसी स्थल जहा सिटाडेल (Citadel) नहीं है। बैलगाड़ी, इक्कास और एक छोटे बर्तन जो की आग में पकाए हुये तथा कांस्य मूर्तियों खुदाई के दौरान मिली है।
  4. कालीबंगा – कालीबंगा घग्घर नदी के तट पर राजस्थान के हनुमानगढ जिले में स्थित है, जिसका बी.बी.लाल एवं बी.के थापर द्वारा 1953 में उत्खनन करवाया गया। जोता क्षेत्र, लकड़ी के कुंड के साक्ष्य, सात आग वेदियों, ऊंट की हड्डियों और अंत्येष्टि के दो प्रकार (परिपत्र गंभीर और आयताकार कब्र) पाया गया है।
  5. कोटदीजी – यह स्थल सिन्धु नदी के तट पर सिंध प्रांत (पाकिस्तान)के खैरपुर में स्थित है, इस स्थल की सर्वप्रथम खोज ‘धुर्ये’ ने 1935 ई. में की, जहां पर 1953 में फजल अहमद ने उत्खनन का कार्य करवाया था।
  6. रंगपुर – यह स्थल मादर नामक नदी के तट पर स्थित गुजरात के काठियावाङ जिले में स्थित है, जिसके उत्खनन का कार्य रंगनाथ राव ने 1953-54 में करवाया था।
  7. रोपङ – रोपङ नामक स्थल सतलज नदी के तट पर पंजाब के रोपङ जिले में स्थित है,1950 में इसकी खोज ‘बी.बी.लाल’ ने की थी। जिसके उत्खनन का कार्य 1953-56 में यज्ञदत्त शर्मा ने करवाया था।
  8. लोथल – लोथल भोगवा नदी के तट पर गुजरात के अहमदाबाद जिले में स्थित है। जिसके उत्खनन का कार्य 1955-1962 में रंगनाथ राव ने करवाया था। शहर का बिभाजन – गढ़ और निचले शहर और गोदी (जहाज़ बनाने का स्थान) में किया गया था। चावल के साक्ष्य यहाँ पाये गए हैं।
  9. आलमगीरपुर – यह स्थल हिन्डन नदी के तट पर वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में स्थित है, जिसके उत्खनन का कार्य 1958 ई. में यज्ञदत्त शर्मा ने करवाया था।
  10. सुतकांगेडोर – यह स्थल दाश्क नदी के तट पर वर्तमान में पाकिस्तान के मकरान में समुद्र तट के किनारे स्थित है। यहाँ पर उत्खनन का कार्य 1927 तथा 1962ई. में ऑरेज स्टाइल तथा जॉर्ज डेल्स ने करवाया था।
  11. बनावली – बनावली रंगोई नदी के तट पर स्थित वर्तमान में हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है। यहां के उत्खनन का कार्य 1974 ई. में रवीन्द्र सिंह विष्ट ने करवाया था। दोनों पूर्व हड़प्पा और हड़प्पा संस्कृति और अच्छी गुणवत्ता के साथ जौ के साक्ष्य यहाँ मिले हैं।
  12. धौलावीरा – यह वर्तमान में गुजरात के कच्छ जिले में लूनी नदी के तट पर स्थित है। यहाँ पर उत्खनन का कार्य 1990-91 ई. में रवीन्द्र सिंह विष्ट ने करवाया था। अद्वितीय जल प्रबंधन प्रणाली के साक्ष्य, हरपण शिलालेख और स्टेडियम मिले हैं।

.

Read More Articles on History or Art & Culture

Follow on Youtube Channel Score Better

Join Us on Telegram For More Update

.

By phantom