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भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank of India) की स्थापना भारतीय रिजर्व बैंक, 1934 के तहत अप्रैल 1935 में हुई थी।
हिल्टन-यंग कमिशन की सिफारिश पर इसकी स्थापना की गयी सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जो 1949 में राष्ट्रीयकृत की गयी थी।
केन्द्रीय कार्यालय की प्रारंभिक शुरुआत कलकत्ता में हुई और बाद में 1937 में मुंबई ले जाया गया।

सरकारी निदेशकों- एक गवर्नर्स और चार से अधिक डिप्टी गवर्नर्स नहीं

वर्तमान में निम्न व्यक्तियों निम्नलिखित पदों पर हैं-
गवर्नर- शक्तिकांत दास 
उप गवर्नर-
(i) श्री एम.के. जैन
(ii) श्री एन एस विश्वनाथन
(iii) डॉ. वायरल वी आचार्य
(iv) श्री बी.पी. कानूनगो

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड के मार्गदर्शन में अपना कार्य करता है।
वित्तीय पर्यवेक्षण बोर्ड (बीएफएस) नवंबर 1994 में गठित की गयी। बोर्ड का गठन केंद्रीय निदेशक मंडल के चार निदेशकों को सह-चयन करने के लिए किया जाता है और इसकी अध्यक्षता गवर्नर द्वारा की जाती है।

आरबीआई (Reserve Bank of India) द्वारा प्रशासित महत्वपूर्ण अधिनियम (Important Acts Administered by RBI)

(i) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934
(ii) लोक ऋण अधिनियम, 1944 / सरकारी प्रतिभूति अधिनियम, 2006
(iii) सरकारी प्रतिभूति विनियम, 2007
(iv) बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949
(v) विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999
(vi) प्रतिभूतिकरण और वित्तीय परिसंपत्तियों के पुनर्निर्माण और सुरक्षा ब्याज का  प्रवर्तन (सारफेसी) अधिनियम, 2002

अन्य प्रासंगिक अधिनियम (Other Relevant Acts)

(i) परामर्शदाता उपकरण अधिनियम, 1881
(ii) कंपनी अधिनियम, 1956 / कंपनी अधिनियम, 2013
(iii) जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम अधिनियम, 1961
(iv) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976
(v) कृषि और ग्रामीण विकास के लिए नेशनल बैंक अधिनियम, 1981
(vi) राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987
(vii) प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002
(viii) भारतीय सिक्का अधिनियम, 2011

आरबीआई की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी निम्नलिखित हैं (subsidiary of Reserve Bank of India)

(i) भारत में जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी)
(ii) भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रीन प्राइवेट लिमिटेड (बीआरबीएनएमपीएल)

आरबीआई के प्रथम गवर्नर – सर ओसबोर्न स्मिथ
राष्ट्रीयकरण के बाद भारतीय रिजर्व बैंक के प्रथम गवर्नर- सी डी देशमुख
भारतीय रिजर्व बैंक की पहली महिला उप-गवर्नर- के.जे.उद्देशी

आरबीआई प्रतीक: टाइगर और पाम पेड़

मौद्रिक नीति क्‍या है? (Monetary Policy)

  • नीति अर्थव्‍यवस्‍था में धन आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए केन्‍द्रीय बैंक द्वारा बनाई जाती है।

एमपीसी (मौद्रिक नीति समिति) (MPC -Monetary Policy Committee)

  • भारत की मौद्रिक नीति समिति भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति है जो भारत में बेंचमार्क ब्याज दर को तय करने के लिए जिम्मेदार है।
  • संशोधित आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 45ZB, मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु आवश्यक ब्याज दर को निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा गठित एक सशक्त छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) हेतु प्रदान करता है। एमपीसी को एक वर्ष में कम से कम चार बार मिलना आवश्यक है।
  • छह सदस्‍यीय एमपीसी की अध्‍यक्षता आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास द्वारा की जाती है।
  • केन्‍द्र सरकार द्वारा नियुक्‍त मौद्रिक नीति समिति के सदस्‍य चार वर्षों के लिए कार्यालय बनाए रखते हैं।

मौद्रिक नीति के विभिन्न उपकरण / साधन (Instruments of Monetary Policy)

इसे मात्रात्मक और गुणात्मक उपकरणों में विभाजित किया जा सकता है।

मात्रात्‍मक उपकरण (Quantitative instruments)

1. खुला बाजार परिचालन (OMO) –  Open Market Operations

  • इस पद्धति में बैंकिंग प्रणाली में धन की राशि का विस्तार या अनुबंध करने के लिए खुले बाजार में आरबीआई द्वारा सरकार की प्रतिभूतियों, बिलों और बांड को खरीदने और बेचने का उल्लेख है।
  • जब आरबीआई सरकारी प्रतिभूतियां खरीदता है तो तरलता बढ़ जाती है (क्योंकि आरबीआई उस पार्टी को उस सिक्‍योरिटी को खरीदने हेतु कुछ पैसे दे रहा है या आरबीआई प्रणाली में अतिरिक्त पैसा डाल रहा है।)
  • बदले में जब रिजर्व बैंक सरकारी प्रतिभूतियों को बेचता है तो तरलता कम हो जाती है। (क्योंकि वे प्‍लेयर प्रतिभूतियों की खरीद के लिए भारतीय रिजर्व बैंक को अपनी नकदी दे रहे हैं।)

2. तरलता समायोजन सुविधा (LAF) – Liquidity Adjustment Facility

  • तरलता समायोजन सुविधाएं (एलएएफ) भी अल्पकालिक धन आपूर्ति पर नियंत्रण के लिए आरबीआई द्वारा इस्‍तेमाल किया जाने वाला एक उपकरण है।
  • एलएएफ के पास दो उपकरण जैसे रेपो दर और रिवर्स रेपो दर हैं।
    रेपो दर: जिस ब्याज दर पर रिज़र्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को उनके दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बिलों को गिरवी रखकर ऋण प्रदान करता है।
    रिवर्स रेपो दर: ब्याज दर जिस पर रिजर्व बैंक अपनी दिनांकित सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बिलों को गिरवी रखकर वाणिज्यिक बैंकों से उधार लेता है।
  • जबकि रेपो दर प्रणाली में तरलता को पेश करती है, रिवर्स रेपो प्रणाली से तरलता को अवशोषित करती है।

3. मामूली स्थायी सुविधा (Marginal Standing Facility)

  • यह बैंकों के लिए एक आपात स्थिति में भारतीय रिज़र्व बैंक से उधार लेने के लिए एक ऋण सुविधा है जब अंतर-बैंक तरलता पूरी तरह से समाप्‍त हो जाती है।
  • एमएसएफ रेपो दर से कैसे भिन्‍न है?
    एमएसएफ ऋण सुविधा वाणिज्यिक बैंकों के लिए आपातकालीन स्थितियों में भारतीय रिजर्व बैंक से उधार लेने के लिए बनाई गई थी, जब अंतर-बैंक तरलता समाप्‍त हो जाती है तथा रातों-रात ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव होता है। इस अस्थिरता को रोकने के लिए, आरबीआई उन्हें सरकारी प्रतिभूतियों को जमा करने तथा आरबीआई से रेपो दर से उच्च दर पर ज्यादा तरलता प्राप्त करने के लिए अनुमति देता है।

4. नकद आरक्षित अनुपात (एसएलआर, सीआरआर) Reserve Ratio (SLR, CRR)

  • एसएलआर (SLR) (सांविधिक नकदी अनुपात) – देश में सभी वाणिज्यिक बैंकों को अपने स्‍वयं के वॉलेट में तरल संपत्ति के रूप में अपनी मांग और समय जमाओं (शुद्ध मांग तथा समय देयताएं या एनडीटीएल) के दिए गए प्रतिशत को रखने की आवश्यकता है।
  • यह बैंक को अपनी सभी जमाओं को उधार देने से रोकता है, जो बहुत जोखिम भरा है।
    नोट: शुद्ध मांग और समय देयताएं (एनडीटीएल) में मुख्य रूप से समय देयताएं और मांग देयताएं शामिल होती हैं।
    समय देयताएं में निम्‍न शामिल हैं –
    (1) सावधि जमा (एफडी) में जमा राशि
    (2) नकदी प्रमाणपत्र
    (3) गोल्‍ड जमा इत्‍यादि
    मांग देयताएं में निम्‍न शामिल हैं –   
    (1) बचत खाते में जमा राशि
    (2) चालू खाते में जमा राशि
    (3) डिमांड ड्राफ्ट इत्‍यादि
  • सीआरआर (CRR) – नकद आरक्षित अनुपात निधियों की राशि है जिसमें बैंक अपनी शुद्ध मांग और समय देयताओं (एनडीटीएल) के एक निश्चित प्रतिशत के रूप में भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखने के लिए बाध्य हैं। बैंक इसे किसी को भी उधार नहीं दे सकता है बैंक इस पर कोई ब्याज दर या लाभ अर्जित नहीं करता है।
  • क्‍या होता है जब सीआरआर में कमी आती है? 
    जब सीआरआर कम हो जाता है, इसका मतलब यह है कि बैंक को आरबीआई के पास कम धनराशि रखने की आवश्‍यकता है और बैंकों को उधार देने के लिए संसाधन उपलब्ध होंगे।

5. बैंक दर ( Bank Rate)

  • बैंक दर वह दर है जो आरबीआई द्वारा निर्धारित की जाती है जिस पर वह वाणिज्यिक बैंकों द्वारा विनिमय के बिलों तथा सरकारी प्रतिभूतियों को पुन: छूट देता है।
  • इसे छूट दर के रूप में भी जाना जाता है।
    नोट
    विनिमय के बिल – एक वित्तीय दस्तावेज है जो खरीदार द्वारा विक्रेता से खरीदी गईं वस्तुओं की राशि का भुगतान सुनिश्चित करता है।

    रेपो दर तथा बैंक दर के बीच अंतर:
     
    रेपो दर एक अल्पकालिक उपाय है और दूसरी ओर बैंक दर एक दीर्घकालिक उपाय है।

गुणात्मक (Qualitative) साधन

1. क्रेडिट राशनिंग (Credit rationing)

  • इससे आरबीआई एक निश्चित क्षेत्र में अधिकतम क्रेडिट प्रवाह को नियंत्रित करती है।
  • आरबीआई कुछ क्षेत्रों को अपने ऋणों के कुछ अंश प्रदान करने के लिए बैंकों हेतु अनिवार्य भी कर सकता है जैसे प्राथमिकता क्षेत्र ऋण इत्‍यादि।

2. चुनिंदा क्रेडिट नियंत्रण (Selective Credit control)

  • चुनिंदा क्रेडिट नियंत्रण संवेदनशील वस्तुओं के खिलाफ बैंक वित्त को प्रतिबंधित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक के हाथों में एक उपकरण है।

3. मार्जिन आवश्‍यकताएं (Margin Requirements)

  • आरबीआई अनुप्रासंगिक के खिलाफ मार्जिन निर्धारित कर सकता है। उदाहरण के लिए, 100 रुपये की मूल्य संपत्ति के लिए केवल 70 रुपए उधार दें, मार्जिन की आवश्यकता 30% है। यदि आरबीआई मार्जिन की आवश्यकता को बढ़ाता है, तो ग्राहक कम ऋण लेने में सक्षम होंगे।

4. नैतिक प्रत्‍यायन (Moral suasion)

  • नैतिक प्रत्‍यायन अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति के अनुसार निश्चित उपाय करने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वाणिज्यिक बैंकों के लिए अनुरोध की पद्धति तथा परामर्श की पद्धति को संदर्भित करता है।

5. प्रत्यक्ष कार्यवाही (Direct Action)

  • आरबीआई (Reserve Bank of India) अर्थव्यवस्था में वर्तमान स्थिति के आधार पर समय-समय पर कुछ दिशा-निर्देशों को जारी करता है। इन दिशा-निर्देशों का पालन बैंकों द्वारा किया जाना चाहिए। यदि कोई भी बैंक इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करता है तो भारतीय रिजर्व बैंक उन्हें दंडित करता है।

मौजूदा नीति दरें (Current Policy Rates)

नीति रेपो दर (Policy Repo Rate)6.25 %
रिवर्स रेपो दर (Reverse Repo Rate)6.00 %
मार्जिनल स्‍टैंडिंग फैसिलिटी रेट (Marginal Standing Facility Rate)6.50 %
बैंक दर (Bank Rate)6.50 %

रिजर्व अनुपात (Reserve Ratios)

सीआरआर (CRR)4 %
एसएलआर (SLR)19.50 % 

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